शरद ॠतु




 हे सखि!



देखो शरद ॠतु आयी ,ऐसा लगा वषा॔ ॠतु की बुढापा आयी|

सुबह-सुबह देखो ओस की बुंदे,पत्तो पर मानो मोती बिखेर आयी|

हे सखि!

देखो शरद ॠतु आयी,मां दुगा॔ की नवरात्री आयी,

कास के फुल धरा पर छायी,मानो सारा गगन धरती पर आयी|

हे सखि!

देखो हरे हरे तरुवरों ने,अपनी डाल पर ली हो अंगणाई,

भिन्न भिन्न पुष्पों में,जैसे जवानी आयी|

हे सखि! 

देखो शरद ॠतु आयी|

लेख

दुजेराम लहरे

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