एक दूजे का सहारा
एक दूजे का सहारा
एक दूजे का सहारा
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मैने देखा एक लकडी़ वाली
ट्राली छोटी सी गाडी़ में
एक कोढ से ग्रस्त आदमी ने
एक औरत को बैठा खींच रहा था !!....
उनके दोनों हांथ केहुनी तक ठूठा था ?......
वह ठूठा हांथ से उस गाडी़ में
बैठी औरत को ढकेल आगे बढ़ रहा था ?......
औरत के पैर ठेहुना से नीचें तक नही था ?........
दोनों की मजबूरी थी /..भुख:मिटाना !!
दोनों एक दूजे के साथ खडे थे /साथ थे !!
साथ निभा आगे बढ़ रहे थे!
भुख: से लड़ रहे थे !!......
हांथ पैर नही रहने पर भी
वह दोनों अपनी जिंदगी की
गाडी़ को खींच रहे थे !!....
दोनों काम करने से लाचार थे!!
एक दूसरे के साथ थे !
किसी तरह वह दोनों
दरवाजे-दरवाजे मांगते फिरते थे ?.....
लाचार देख दयालु लोग
कुछ न कुछ दे जाते थे!
वहीं कुछ लोग अगले जन्म के दोष मढ़
दरवाजे से बाहर का रास्ता दिखता था !!........
आगे बढो़ और वह दोनो उसे आशीर्वाद
देकर आगे बढ़ जाता था इश्वर भला करे
कवि
प्रभुदयाल बंजारे
2 7/ 2 / 2021
